
हिसार: चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (CCS HAU) के छात्रों का आंदोलन अब एक जन आंदोलन का रूप ले चुका है। छात्रों की तीन सूत्रीय मांगों को हरियाणा की जनता का भरपूर समर्थन मिल रहा है। विभिन्न सामाजिक संगठनों, किसान यूनियनों और आम नागरिकों ने सरकार से अपील की है कि छात्रों की मांगों को जायज ठहराते हुए उन्हें तुरंत पूरा किया जाए और उनके शांतिपूर्ण आंदोलन को सम्मान दिया जाए।https://kainchinews.in/why-are-farmers-joining-hau-student-protests-in-hisar/

छात्रों की मुख्य मांगें और जन समर्थन
प्रदर्शनकारी छात्रों की प्रमुख मांगें निम्नलिखित हैं, जिन्हें अब व्यापक जन समर्थन प्राप्त है:
- वाइस चांसलर को तुरंत हटाया जाए: छात्रों का आरोप है कि वर्तमान कुलपति बी.आर. कंबोज के नेतृत्व में विश्वविद्यालय में प्रशासनिक कुप्रबंधन और छात्र विरोधी नीतियां हावी हैं। 10 जून को छात्रों पर हुए लाठीचार्ज के लिए भी उन्हें जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। जनता का मानना है कि जब तक कुलपति पद पर बने रहेंगे, छात्रों और विश्वविद्यालय के बीच विश्वास बहाल नहीं हो पाएगा।
- छात्रों पर जानलेवा हमला करने वालों पर कठोर कार्रवाई हो: 10 जून को छात्रों पर हुए लाठीचार्ज को लेकर जनता में भारी रोष है। छात्रों और उनके समर्थकों की मांग है कि इस हिंसक कार्रवाई के लिए जिम्मेदार पुलिसकर्मियों और अन्य अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए। यह न्याय सुनिश्चित करने और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए आवश्यक है।
- छात्रवृत्ति सभी छात्रों का अधिकार, पुराने नियम लागू हों: छात्रवृत्ति में कटौती और नियमों में बदलाव को लेकर छात्रों में गंभीर चिंता है। उनका कहना है कि छात्रवृत्ति सभी छात्रों का अधिकार है, खासकर ग्रामीण और आर्थिक रूप से कमजोर पृष्ठभूमि के छात्रों के लिए यह उच्च शिक्षा जारी रखने का एकमात्र साधन है। जनता की मांग है कि छात्रवृत्ति के पुराने नियमों को बहाल किया जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि सभी पात्र छात्रों को छात्रवृत्ति मिलेhttps://x.com/bansaldeepak19/status/1935186965349146969?t=N5UgMlC6A_PO3HYFwNHIAw&s=19।
“छात्रों को लावारिस न समझे सरकार”
इस आंदोलन में शामिल विभिन्न संगठनों ने एक स्वर में कहा है कि सरकार छात्रों को “लावारिस” समझने की भूल न करे। हरियाणा की जनता पूरी तरह से छात्रों के साथ खड़ी है। यह केवल HAU के छात्रों का मुद्दा नहीं, बल्कि शिक्षा के अधिकार, न्याय और लोकतांत्रिक मूल्यों का मुद्दा है। सरकार को छात्रों की आवाज को सुनना चाहिए और उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार करते हुए तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए। यदि सरकार ने मांगों को अनसुना किया, तो यह आंदोलन और भी व्यापक रूप ले सकता है।

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