
बलरामपुर: हिंदू परिवारों के धर्म परिवर्तन, लव जिहाद और राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों के आरोप में एटीएस के शिकंजे में आए जमालुद्दीन उर्फ छांगुर के मंसूबे बेहद खतरनाक थे. जांच में खुलासा हुआ है कि अवैध धर्मांतरण के अपने नापाक इरादों को अंजाम देने के लिए उसने नेपाल से सटे संवेदनशील सात जिलों में सक्रिय कुछ ईसाई मिशनरियों के साथ भी सांठगांठ कर रखी थी.
मिशनरियों के जरिए कमजोर वर्गों की जानकारी
सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, छांगुर इन ईसाई मिशनरियों के पास्टरों और पादरियों को पैसे देता था और बदले में उनसे कमजोर आर्थिक पृष्ठभूमि वाले परिवारों का ब्योरा हासिल करता था. इन चिह्नित परिवारों को फिर आर्थिक मदद का लालच देकर प्रभावित किया जाता था और धर्म परिवर्तन के लिए राजी किया जाता था. इस धर्मांतरण की पूरी प्रक्रिया में होने वाले खर्च का हिसाब-किताब नसरीन रखती थी. वहीं, नवीन (जो बाद में जलालुद्दीन बन गया) और नीतू का पति पुलिस व स्थानीय प्रशासन को “मैनेज” करने का काम देखता था.देवीपाटन मंडल में मिशनरियों ने हर वर्ग के अनुसार प्रचारक नियुक्त कर रखे थे, जिससे परिवारों को समझाना और धर्मांतरण के लिए राजी करना आसान हो जाता था. सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि यह एक पूरी “चेन” थी, जिसमें प्रचारक, पास्टर और पादरी अहम कड़ियाँ थीं. इनके पास दलित, वंचित, गंभीर रूप से बीमार और आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों का पूरा डेटा होता था, जिसका उपयोग छांगुर समय-समय पर पैसे और प्रभाव का इस्तेमाल कर धर्मांतरण के लिए करता था.https://kainchinews.in/chhangurs-conversion-racket-unveiled-land-profits-fueling-conversions-via-pastors/
नीतू उर्फ नसरीन: धर्म परिवर्तन की सूत्रधार
हिंदू परिवारों को प्रभावित करने के लिए छांगुर नीतू उर्फ नसरीन और नवीन उर्फ जलालुद्दीन का उदाहरण देता था. वह उन्हें बताता था कि ये दोनों पहले सिंधी थे और इस्लाम अपनाने के बाद उनकी जिंदगी कैसे बदल गई – उनके पास पैसा, आलीशान कोठी और महंगी गाड़ियाँ हैं. इस तरह वह लोगों को इस्लाम स्वीकार करने पर बेहतर जीवन का सब्जबाग दिखाता था.
‘मिशन आबाद’ से जुड़े थे छांगुर के तार
भारत-नेपाल सीमा पर काम कर चुके पूर्व आईबी अधिकारी संतोष सिंह ने बताया कि छांगुर ‘पीर मिशन आबाद’ की एक कड़ी था. उसे हिंदू परिवारों के धर्म परिवर्तन के बदले विदेश से भी फंडिंग मिलती थी. इस संबंध में रिपोर्ट भी बनी और गृह मंत्रालय को भेजी गई थी. संतोष सिंह का कहना है कि देर से ही सही, लेकिन अब इस पर पुख्ता कार्रवाई हो रही है.दरअसल, ‘मिशन आबाद’ भारत-नेपाल के बीच तराई और मधेश क्षेत्र में एक विशेष समुदाय की आबादी बढ़ाने की कोशिश है. शिक्षण संस्थानों की आड़ में असम और पश्चिम बंगाल तक के लोगों को बसाने का प्रयास भी इसी मिशन का एक हिस्सा है. यह खुलासा छांगुर के धर्म परिवर्तन रैकेट के पीछे के गहरे और संगठित नेटवर्क की ओर इशारा करता है, जिसके तार अंतरराष्ट्रीय स्तर तक जुड़े हो सकते हैं।
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