
देहरादून: Tirupati Laddu प्रसादम मामले की जांच कर रही सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित विशेष जांच दल (SIT) ने रुड़की की प्रतिष्ठित भोले बाबा ऑर्गेनिक डेयरी मिल्क प्राइवेट लिमिटेड को बड़ी राहत दी है। जांच में कंपनी द्वारा सप्लाई किए गए घी में एनिमल फैट (पशु की चर्बी) नहीं मिला है, जिसकी पुष्टि रिपोर्ट में भी की गई है।
मामले की पूरी कहानी
इस मामले ने तब तूल पकड़ा जब आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री ने सार्वजनिक तौर पर यह बयान दिया कि पिछली सरकार के कार्यकाल में तिरुपति के लड्डू बनाने में पशु की चर्बी वाले घी का इस्तेमाल किया गया था। इस बयान से करोड़ों भक्तों की भावनाएं आहत हुईं, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल अक्टूबर में 5 सदस्यीय SIT का गठन किया। इस टीम में CBI, आंध्र प्रदेश पुलिस और FSSAI के अधिकारी शामिल थे।

इस विवाद में तमिलनाडु की एआर डेयरी फूड प्राइवेट लिमिटेड और रुड़की की भोले बाबा डेयरी जैसी कंपनियों को बेवजह घसीटा गया, जिस पर कंपनियों ने आरोपों को सिरे से खारिज किया था।
सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट की दखल
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर संज्ञान लेते हुए टिप्पणी की थी कि इस बात का कोई निश्चित प्रमाण नहीं है कि लड्डू में पशु वसा मिलाई गई थी। कोर्ट ने मुख्यमंत्री के बयान पर भी सवाल उठाया था। https://kainchinews.in/india-rebukes-asim-munirs-nuclear-threat-amid-silent-coup-fears-in-pakistan/
हाल ही में, आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने इस मामले की जांच की निगरानी सीधे CBI के निदेशक को सौंप दी है। यह फैसला याचिकाकर्ता कडुरु चिन्नप्पन्ना की याचिका पर आया, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि जांच को प्रभावित करने की कोशिश की जा रही है।
रुड़की की कंपनी पर उठे सवाल
जांच के दौरान, भोले बाबा डेयरी के घी के सैंपल की रिपोर्ट में एनिमल फैट नहीं मिला है। कंपनी ने हमेशा से अपनी गुणवत्ता पर जोर दिया है और आज तक FSSAI की किसी भी जांच में उसका सैंपल फेल नहीं हुआ है। हाईकोर्ट ने भी कंपनी के मालिक को इस मामले से बरी कर दिया है।
इस घटनाक्रम से यह साफ हो गया है कि भोले बाबा ऑर्गेनिक डेयरी मिल्क प्राइवेट लिमिटेड को इस विवाद में गलत तरीके से शामिल किया गया था, और अब जांच के बाद उसे क्लीन चिट मिल गई है।