
नई दिल्ली: भारतीय शेयर बाजार में पिछले कुछ सत्रों से जारी उतार-चढ़ाव ने निवेशकों की चिंता बढ़ा दी है। घरेलू और वैश्विक कारकों के चलते बाजार में अस्थिरता बनी हुई है, जिससे निवेशक यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि आगे क्या हो सकता है।
बाजार में अस्थिरता के कारण:
- वैश्विक संकेत: अंतर्राष्ट्रीय बाजारों से मिल रहे मिश्रित संकेतों का असर भारतीय बाजार पर भी दिख रहा है। अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ब्याज दरों पर संभावित नीतियों, वैश्विक आर्थिक मंदी की आशंकाओं और भू-राजनीतिक तनावों का सीधा असर निवेशकों के सेंटिमेंट पर पड़ रहा है।
- घरेलू चुनौतियां: घरेलू स्तर पर भी कुछ चुनौतियां मौजूद हैं। आगामी केंद्रीय बजट को लेकर अटकलें, मॉनसून की प्रगति और कंपनियों के तिमाही नतीजों से पहले निवेशक सतर्कता बरत रहे हैं। इसके अलावा, कुछ क्षेत्रों में संभावित नियामक बदलावों को लेकर भी अनिश्चितता बनी हुई है।
- मुनाफावसूली का दबाव: हाल के दिनों में कुछ क्षेत्रों में अच्छी तेजी के बाद, निवेशक मुनाफावसूली कर रहे हैं, जिससे बाजार पर ऊपरी स्तरों से दबाव देखा जा रहा है।
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विशेषज्ञों की राय:
आर्थिक विशेषज्ञ मौजूदा बाजार को लेकर मिली-जुली राय दे रहे हैं।
- सतर्कता की सलाह: कई विश्लेषकों का मानना है कि मौजूदा समय में निवेशकों को सतर्क रहने की जरूरत है। वे सलाह दे रहे हैं कि बाजार में गिरावट आने पर ही गुणवत्ता वाले शेयरों में धीरे-धीरे निवेश करें।
- लंबी अवधि का दृष्टिकोण: कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि छोटी अवधि के उतार-चढ़ाव से घबराने की बजाय निवेशकों को लंबी अवधि का दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। भारतीय अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत है और दीर्घकाल में वृद्धि की संभावना बनी हुई है।https://kainchinews.in/uttarakhand-on-red-alert-for-monsoon-heavy-to-very-heavy-rains-expected-for-next-three-days-stay-alert/
- क्षेत्रीय प्रदर्शन पर नजर: कुछ क्षेत्र जैसे बैंकिंग, ऑटोमोबाइल और पूंजीगत वस्तुएं (Capital Goods) बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं, जबकि आईटी और फार्मा जैसे निर्यात-उन्मुख क्षेत्रों पर वैश्विक मंदी का असर दिख सकता है।
- महत्वपूर्ण स्तरों पर नजर: तकनीकी विश्लेषकों के अनुसार, निफ्टी और सेंसेक्स के महत्वपूर्ण सपोर्ट स्तरों पर नजर रखनी चाहिए। इन स्तरों के टूटने पर और गिरावट आ सकती है, जबकि इनके ऊपर टिके रहने पर बाजार में स्थिरता आने की उम्मीद है।
आगे क्या?
अगले कुछ हफ्तों में, केंद्रीय बजट की घोषणाएं, मॉनसून की स्थिति और कंपनियों के तिमाही नतीजों से बाजार को नई दिशा मिल सकती है। निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे किसी भी बड़े निवेश निर्णय से पहले विशेषज्ञों से सलाह लें और बाजार के ताजा घटनाक्रमों पर बारीकी से नजर रखें।
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