
हिसार, 24 जून, 2025: चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (CCS HAU) में चल रहे छात्र आंदोलन ने एक नया और आक्रामक मोड़ ले लिया है। अपनी मांगों को लेकर अड़े छात्रों ने अब आर-पार की लड़ाई का ऐलान करते हुए 26 जून को पूरे विश्वविद्यालय में ‘ताला’ लगाने की चेतावनी दी है। यह फैसला सोमवार को हुई “छात्र न्याय महापंचायत” के बाद आया है, जहाँ किसान संगठनों और अन्य सामाजिक समूहों ने भी छात्रों को अपना पूर्ण समर्थन दिया।
पिछले कई हफ्तों से कुलपति को हटाने, छात्रवृत्ति बहाली और 10 जून को हुए लाठीचार्ज के दोषियों पर कार्रवाई की मांग को लेकर छात्र लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। हरियाणा सरकार के साथ कई दौर की बातचीत विफल होने के बाद, छात्रों ने अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए अब सीधे कार्रवाई की धमकी दी है।
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क्यों हुआ यह कड़ा फैसला?
छात्रों का कहना है कि सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन उनकी मांगों को गंभीरता से नहीं ले रहा है। कई बार शांतिपूर्ण प्रदर्शनों और वार्ताओं के बावजूद, उनकी मुख्य मांगों पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। छात्रों का आरोप है कि प्रशासन उन्हें लावारिस समझ रहा है और उनकी आवाज को दबाने की कोशिश कर रहा है।

महापंचायत में हुआ फैसला: सोमवार को हुई “छात्र न्याय महापंचायत” में हजारों की संख्या में छात्र, किसान नेता और विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि इकट्ठा हुए। इस महापंचायत में सर्वसम्मति से यह फैसला लिया गया कि यदि 26 जून तक उनकी मांगें पूरी नहीं होती हैं, तो विश्वविद्यालय के सभी गेटों पर ताला लगा दिया जाएगा। छात्रों का कहना है कि यह उनकी आखिरी चेतावनी है और वे अब किसी भी कीमत पर पीछे हटने को तैयार नहीं हैं।https://x.com/DVJChautala/status/1934567758160666714?t=p0JQnOeSQHd4YATq_wAxIQ&s=19
छात्रों की मुख्य मांगें:
- वाइस चांसलर को तुरंत हटाया जाए: छात्रों का आरोप है कि वर्तमान कुलपति बी.आर. कंबोज के नेतृत्व में विश्वविद्यालय में कुप्रबंधन और छात्र विरोधी नीतियां चरम पर हैं। 10 जून के लाठीचार्ज के लिए भी उन्हें ही जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। छात्रों का मानना है कि कुलपति के पद पर रहते हुए निष्पक्ष जांच संभव नहीं है और जब तक उन्हें हटाया नहीं जाता, वे पीछे नहीं हटेंगे।
- छात्रों पर जानलेवा हमला करने वालों पर कठोर कार्रवाई हो: 10 जून को छात्रों पर हुए लाठीचार्ज ने पूरे हरियाणा में आक्रोश पैदा किया है। छात्रों की मांग है कि इस हिंसक कार्रवाई में शामिल पुलिसकर्मियों और अधिकारियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए।
- छात्रवृत्ति सभी छात्रों का अधिकार, पुराने नियम ही लागू हों: छात्रवृत्ति में कटौती और नियमों में बदलाव को लेकर छात्रों में भारी असंतोष है। उनका कहना है कि छात्रवृत्ति ग्रामीण और आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों के लिए जीवनरेखा है और इसे बहाल किया जाना चाहिए।
आगे क्या?
26 जून की तारीख अब बेहद महत्वपूर्ण हो गई है। छात्रों ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन उनकी मांगों पर गौर नहीं करता, तो वे विश्वविद्यालय में प्रवेश और निकास को पूरी तरह से बाधित कर देंगे। इससे विश्वविद्यालय के कामकाज पर गंभीर असर पड़ेगा। सरकार के लिए यह एक बड़ी चुनौती बन गई है कि वह इस गतिरोध को कैसे सुलझाती है। क्या सरकार छात्रों की मांगों को मानेगी, या यह आंदोलन और बड़ा रूप लेगा, यह देखना बाकी है।
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