
कैंची न्यूज काठमांडू: नेपाल में चल रहे Nepal Crisis में राजनीतिक और संवैधानिक संकट लगातार गहराता जा रहा है। प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली और उनकी पूरी कैबिनेट के इस्तीफे के बाद देश में नेतृत्व को लेकर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। इस बीच, अगले प्रधानमंत्री के पद के लिए दो नाम चर्चा में हैं- रबी लाछिमाने और काठमांडू के लोकप्रिय मेयर बालेंद्र शाह। राजनीतिक गलियारों में यह उम्मीद की जा रही है कि जेन-ज़ी के बीच अपनी लोकप्रियता और राजनीतिक समझ के चलते बालेंद्र शाह इस रेस में सबसे आगे निकलेंगे। देश की सेना और प्रमुख राजनीतिक दल मिलकर इस संकट को समाप्त करने और एक नई सरकार बनाने का रास्ता तलाश रहे हैं।
क्यों भड़का Gen Z का गुस्सा? पूर्व PM के पोते ने बताई असली वजह
नेपाल में जेन-ज़ी द्वारा शुरू किया गया यह आंदोलन अब एक उग्र जन-विद्रोह का रूप ले चुका है। इस स्थिति पर नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री के.आई. सिंह के पौत्र यशवंत मिश्रा ने एक इंटरव्यू में महत्वपूर्ण जानकारी दी। मिश्रा ने मौजूदा हालात को “एक मिसहैंडल्ड क्राइसिस” यानी बिगड़े हुए संकट का परिणाम बताया और कहा कि यह सरकार की विफलताओं का नतीजा है।
यशवंत मिश्रा के अनुसार, नेपाल में लंबे समय से भ्रष्टाचार चरम पर था और लगातार बदलती सरकारों के बावजूद आम जनता की समस्याएं जस की तस बनी हुई थीं। देश की युवा आबादी, जिसे जेन-ज़ी कहा जाता है, इसी भ्रष्टाचार और सरकारी उदासीनता से परेशान थी।
सोशल मीडिया पर बैन ने डाली आग में घी
यशवंत मिश्रा ने बताया कि नेपाल की लगभग 3.2 करोड़ की कुल आबादी में से करीब 40 लाख लोग विदेशों में काम करते हैं। ये लोग अपने परिवारों से जुड़े रहने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे व्हाट्सएप, फेसबुक और इंस्टाग्राम का व्यापक उपयोग करते हैं। जब सरकार ने अचानक इन सभी प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगा दिया, तो यह फैसला लाखों लोगों के लिए एक बड़े झटके की तरह था। इसी फैसले ने देश के युवाओं को सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर कर दिया, जिससे यह आंदोलन शुरू हुआ।
मिश्रा ने बताया कि जब विरोध-प्रदर्शन उग्र हुआ तो पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर जानलेवा हथियारों से फायरिंग शुरू कर दी। पुलिस रबर बुलेट्स जैसे कम घातक उपायों का इस्तेमाल कर सकती थी, लेकिन उन्होंने सीधे घातक हथियारों का प्रयोग किया। संसद भवन के बाहर एक स्कूली बच्चे की गोली लगने से मौत हो गई, जिसे उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकारों का खुला उल्लंघन बताया। उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाएं किसी भी लोकतांत्रिक देश में नहीं होनी चाहिए। फिलहाल, नेपाल के सामने एक नई सरकार और शांति की स्थापना की बड़ी चुनौती है।
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