
कैंची न्यूज: उत्तराखंड में जबरन Religious Conversion के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व वाली राज्य कैबिनेट ने ‘उत्तराखंड धर्म की स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक, 2025’ को मंजूरी दे दी है। यह विधेयक जबरन Religious Conversion पर लगाम लगाने के लिए मौजूदा कानून को और भी सख्त बनाता है। 19 अगस्त से शुरू होने वाले 3 दिवसीय मानसून सत्र के दौरान इसे राज्य विधानसभा में पेश किया जाएगा। इस विधेयक के पास होने के बाद, उत्तराखंड में जबरन धर्म परिवर्तन से जुड़े अपराधों पर पहले से कहीं ज्यादा सख्त कार्रवाई होगी।
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कड़े प्रावधान और आजीवन कारावास का प्रावधान
यह नया विधेयक जबरन Religious Conversion के लिए कड़ी सजा का प्रावधान करता है। विवाह के माध्यम से धर्म परिवर्तन कराना, मानव तस्करी करना, या इन अपराधों की साजिश रचने पर 20 साल तक की कैद हो सकती है, जिसे बढ़ाकर आजीवन कारावास भी किया जा सकता है। इसके साथ ही, दोषियों पर भारी जुर्माना भी लगाया जाएगा।
यदि कोई व्यक्ति या संस्था अवैध धार्मिक रूपांतरण के लिए विदेशी या अन्य स्रोतों से धन प्राप्त करती है, तो उसे 7 साल से 14 साल तक की कठोर कारावास और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना भरना होगा।
अब आसानी से नहीं मिलेगी जमानत
इस विधेयक की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह सभी संबंधित अपराधों को गंभीर और गैर-जमानती बनाता है। इन मामलों की सुनवाई सीधे सत्र न्यायालय में होगी। जमानत तभी मिल पाएगी जब कोर्ट को पूरा विश्वास हो जाएगा कि अभियुक्त निर्दोष है और वह भविष्य में ऐसा कोई अपराध नहीं करेगा। इसके अलावा, पुलिस को बिना वारंट के गिरफ्तारी का अधिकार भी दिया गया है, जिससे ऐसे अपराधों पर तुरंत कार्रवाई की जा सकेगी।
यह विधेयक धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा के साथ-साथ जबरन धर्म परिवर्तन पर रोक लगाने के लिए राज्य सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
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