उत्तराखंड में परीक्षा घोटाले को लेकर आंदोलन कर रहे युवाओं को आखिरकार सरकार की ओर से बड़ी राहत मिली है। आठ दिन से धरना दे रहे छात्रों से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मौके पर पहुंचकर मुलाकात की और सीबीआई जांच की संस्तुति देने का आश्वासन दिया। इसके बाद युवाओं ने फिलहाल के लिए अपना आंदोलन स्थगित कर दिया है।
सीएम ने युवाओं की मांगें मानीं
मुख्यमंत्री धामी ने प्रदर्शनकारी युवाओं को आश्वस्त किया कि उनकी मांग पर राज्य सरकार ने परीक्षा घोटाले की सीबीआई जांच के लिए संस्तुति पत्र तैयार कर दिया है। इसके साथ ही सीएम ने यह भी कहा कि इस मामले में जिन छात्रों पर मुकदमे दर्ज हुए हैं, उन्हें वापस लिया जाएगा। उन्होंने छात्रों से उन नामों की सूची मांगी है जिन पर कार्रवाई हुई थी।
धरना कुछ दिनों के लिए स्थगित
धरना स्थगित करने की घोषणा युवा संगठन के अध्यक्ष राम कंडवाल ने की। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद फिलहाल धरना कुछ दिनों के लिए स्थगित किया जा रहा है, लेकिन यदि जांच में कोई गड़बड़ी पाई गई तो आंदोलन दोबारा शुरू किया जाएगा।
चार अधिकारी-कर्मचारी निलंबित
इस मामले में अब तक सेक्टर मजिस्ट्रेट केएन तिवारी, असिस्टेंट प्रोफेसर सुमन, एक दरोगा और एक सिपाही को निलंबित किया जा चुका है। जांच में सामने आया है कि असिस्टेंट प्रोफेसर सुमन ने ‘पेपर सॉल्वर’ की भूमिका निभाई थी, जबकि अन्य पर ड्यूटी में लापरवाही बरतने का आरोप है।
एकल सदस्यीय आयोग का गठन
प्रदेश सरकार ने पेपर लीक मामले की जांच के लिए एक एकल सदस्यीय जांच आयोग भी गठित किया है। इसकी अध्यक्षता सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति यूसी ध्यानी कर रहे हैं। आयोग, एसआईटी द्वारा की गई जांच रिपोर्ट का अवलोकन कर आगे की दिशा तय करेगा।
ऐसे हुआ था पेपर लीक का खुलासा
मुख्य आरोपी खालिद की गिरफ्तारी के बाद जब हरिद्वार स्थित सीआईयू कार्यालय में उससे पूछताछ हुई, तो उसने पूरी साजिश का खुलासा किया। खालिद ने बताया कि वह परीक्षा के दिन खेतों की ओर से बने एक छोटे दरवाजे से मोबाइल फोन अंदर ले गया। शौचालय में छिपकर उसने पेपर के तीन पन्नों की फोटो ली और जैमर से बचते हुए उन्हें अपनी बहन को भेजा। उसकी बहन ने ये फोटो आगे असिस्टेंट प्रोफेसर को भेजीं, जिससे पूरा मामला सामने आ गया।
निष्कर्ष:
परीक्षा घोटाले की सीबीआई जांच की मांग कर रहे युवाओं को अब उम्मीद की किरण नजर आ रही है। सरकार की ओर से जांच की सिफारिश और आरोपियों पर कार्रवाई से यह साफ हो गया है कि मामले को दबाने के बजाय सख्ती से निपटा जाएगा। अब नजर इस बात पर है कि सीबीआई जांच कब शुरू होती है और दोषियों को कब तक सजा मिलती है।
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