
वृंदावन : आधुनिक जीवनशैली की चकाचौंध में कई बार युवा पीढ़ी ऐसी गलत आदतों का शिकार हो जाती है, जहाँ से वापसी का रास्ता उन्हें सूझता नहीं। ऐसा ही एक मामला हाल ही में वृंदावन में संत प्रेमानंद जी महाराज के आश्रम में सामने आया, जहाँ अपनी जीवन की उलझनों और गलतियों से त्रस्त एक 18 वर्षीय युवती मार्गदर्शन के लिए पहुँची। यह घटना तेजी से वायरल हो रही है और #प्रेमानंदमहाराज के उपदेश एक बार फिर चर्चा में हैं।https://kainchinews.in/blood-donation-the-ultimate-service-to-life-sarvesh-pathaks-campaign-ignites-hope/
मशहूर संत प्रेमानंद जी महाराज के दर्शनों और उनके प्रवचनों को सुनने के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु वृंदावन आते हैं। यहाँ आकर लोग न केवल आध्यात्मिक शांति प्राप्त करते हैं, बल्कि अपनी निजी समस्याओं को भी उनके समक्ष रखकर सही मार्गदर्शन पाते हैं।

हाल ही में ऐसी ही एक युवती ने प्रेमानंद महाराज जी से मुलाकात की। उसने अपनी पीड़ा साझा करते हुए बताया, “महाराज जी, मैं अभी 18 साल की हुई हूँ। मैंने जीवन में कई गलतियाँ की हैं। मैंने खूब शराब और सिगरेट का सेवन किया है।” युवती ने आगे जो बताया, वह सुनकर हर कोई स्तब्ध रह गया। उसने कहा, “यहाँ तक कि एक बार मैंने अपनी दादी को नशे की दवा दे दी थी, ताकि एक पुरुष को अपने घर बुला सकूँ। आज भी मैं मनमाना आचरण कर रही हूँ। महाराज जी, मैं सच में बदलना चाहती हूँ। कृपया मुझे सही मार्ग दिखाइए।”https://www.facebook.com/share/p/1A4kPE3E12/
युवती की बात सुनकर प्रेमानंद महाराज जी ने उसे अत्यंत शांति और धैर्य से सुना। उन्होंने कहा, “यह तो बहुत ही हानि का विषय है। लेकिन सबसे पहली बात यह समझ लो कि अगर आप खुद नहीं सुधरना चाहतीं, तो दुनिया की कोई ताकत आपको नहीं सुधार सकती। सबसे पहले तो एक पक्का नियम लो कि आज के बाद कभी शराब या नशे का सेवन नहीं करोगी।”
प्रेमानंद महाराज जी ने युवती को आगे मार्गदर्शन देते हुए कहा, “तीसरी बात यह है कि अब तक जो भी तुम्हारा बीता हुआ जीवन है, उस पर अब मिट्टी डाल दो।” जब युवती ने कहा कि अब उसमें सुधार का सामर्थ्य नहीं बचा है, तो महाराज जी ने उसे हिम्मत दी।
उन्होंने कहा, “सबको सुधरने का चांस है। हम कहते हैं कि बुढ़ापे तक उम्मीद है। अगर आखिरी में कोई सुधर जाए, तो भी सुधार हो जाए। ऐसा नहीं है कि यह गलत है, तो इसे जीवन भर गलत कहकर इसे टॉर्चर करते रहें। अगर गलती हो गई है, तो उसका सुधार होना चाहिए।”
प्रेमानंद महाराज जी का यह उपदेश दिखाता है कि वे किसी के अतीत की गलतियों पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, वर्तमान में सुधार और भविष्य की संभावनाओं पर जोर देते हैं। उनकी शिक्षाएँ #युवापीढ़ी के लिए एक नई राह दिखाती हैं और #नशामुक्ति तथा #अध्यात्मिकमार्गदर्शन के महत्व को रेखांकित करती हैं। यह घटना एक बार फिर दर्शाती है कि कैसे सही मार्गदर्शन और आत्म-इच्छाशक्ति से कोई भी व्यक्ति अपने जीवन को एक नई दिशा दे सकता है।
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