
हिसार: चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (HAU) में कुलपति को हटाने की मांग को लेकर छात्रों का विरोध प्रदर्शन लगातार जारी है, और इसमें अब किसानों की भागीदारी भी देखने को मिल रही है। आखिर क्यों किसान इस छात्र आंदोलन का हिस्सा बन रहे हैं?
छात्रों और किसानों के साझा सरोकार
छात्रों और किसानों दोनों के अपने-अपने मुद्दे हैं, लेकिन कई मायनों में उनके सरोकार एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। किसानों का मानना है कि HAU केवल एक शिक्षण संस्थान नहीं, बल्कि कृषि क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। छात्रों के भविष्य, शोध और विश्वविद्यालय के समग्र कामकाज का सीधा असर कृषि समुदाय पर पड़ता है।

- कृषि शिक्षा का भविष्य: किसानों को चिंता है कि यदि विश्वविद्यालय में शैक्षणिक और प्रशासनिक माहौल ठीक नहीं रहता है, तो इसका सीधा असर कृषि शिक्षा की गुणवत्ता पर पड़ेगा। यह भविष्य में बेहतर कृषि वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं और प्रगतिशील किसानों की उपलब्धता को प्रभावित करेगा।
- छात्रवृत्तियाँ और सुविधाएं: छात्रों द्वारा छात्रवृत्तियों में कटौती और अन्य सुविधाओं की कमी का मुद्दा उठाया जा रहा है। किसानों का मानना है कि ग्रामीण पृष्ठभूमि से आने वाले छात्रों के लिए ये छात्रवृत्तियाँ और सुविधाएं बेहद महत्वपूर्ण हैं। यदि ये बंद होती हैं, तो गरीब और जरूरतमंद छात्र उच्च शिक्षा से वंचित हो सकते हैं।
- विश्वविद्यालय का प्रबंधन: किसानों को लगता है कि विश्वविद्यालय का प्रबंधन सही ढंग से नहीं हो रहा है, जिससे न केवल छात्रों बल्कि कृषि अनुसंधान और विस्तार कार्यों पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। उनका मानना है कि एक सक्षम और जवाबदेह कुलपति ही विश्वविद्यालय को सही दिशा दे सकता है।
- न्याय और एकजुटता: किसानों को लगता है कि छात्रों के साथ अन्याय हुआ है, खासकर 10 जून को हुए लाठीचार्ज के बाद। वे छात्रों के आंदोलन को न्याय की लड़ाई मानकर उनके साथ एकजुटता दिखा रहे हैं, जैसा कि वे अपने स्वयं के कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन में करते रहे हैं।https://kainchinews.in/hau-students-firm-on-vcs-removal-mahapanchayat-called-today-in-hisar/
महापंचायत में किसानों की भूमिका
आज हिसार में बुलाई गई “छात्र न्याय महापंचायत” में किसान संगठनों के प्रतिनिधियों की बड़ी संख्या में पहुंचने की उम्मीद है। यह महापंचायत इस आंदोलन को और व्यापक बनाने का काम करेगी। किसानों की भागीदारी से यह आंदोलन केवल छात्रों का न रहकर एक बड़े सामाजिक आंदोलन का रूप ले रहा है, जिससे सरकार पर दबाव बढ़ने की संभावना है।
कुल मिलाकर, किसान छात्रों के विरोध प्रदर्शन में इसलिए शामिल हो रहे हैं क्योंकि वे इसे केवल एक विश्वविद्यालय का मुद्दा नहीं, बल्कि कृषि शिक्षा, ग्रामीण युवाओं के भविष्य और समग्र कृषि समुदाय से जुड़ा एक व्यापक मुद्दा मानते हैं।https://x.com/DeependerSHooda/status/1937442197378371999?t=5K5qejpqchAYyGYG1MjT-A&s=09
ये है पूरा मामला
एचएयू प्रशासन ने एमएससी व पीएचड़ी के विद्यार्थियों को दी जाने वाली छात्रवृत्ति में कटौती कर दी थी। जिसको लेकर 10 जून को विद्यार्थी कुलपति कार्यालय पर विरोध जताने पहुंचे थे। जहां सुरक्षा कर्मियों के साथ विद्यार्थियों का टकराव हुआ। इसके बाद विद्यार्थी कुलपति आवास पर प्रदर्शन करने केलिए पहुंचे। 10 जून की रात करीब 10 बजे विद्यार्थियों पर लाठीचार्ज किया गया। जिसमें तीन विद्यार्थियों के सिर फूट गए थे।विद्यार्थियों का आरोप है कि कुलपति के समक्ष प्रोफेसर व सुरक्षा अधिकारी ने विद्यार्थियों पर लाठी बरसाई। जिसके बाद से विद्यार्थी धरने पर हैं।
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