
नई दिल्ली: ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते युद्ध संकट के बीच भारत सरकार ने अपने नागरिकों को सुरक्षित निकालने के लिए शुरू किए गए “मिशन रेस्क्यू” में एक बड़ी सफलता हासिल की है। युद्धग्रस्त ईरान में फंसे 110 भारतीय नागरिकों का पहला जत्था सफलतापूर्वक निकाल लिया गया है। इस जत्थे को फिलहाल पड़ोस के देश आर्मीनिया में सुरक्षित पहुंचाया गया है, जहाँ से उन्हें विशेष विमान के जरिए भारत वापस लाया जाएगा।
‘मिशन रेस्क्यू’ के तहत तेज हुई कार्रवाई
मध्य-पूर्व में बिगड़ते हालात को देखते हुए भारत सरकार और तेहरान स्थित भारतीय दूतावास 24 घंटे काम कर रहे हैं। ईरान में मौजूद भारतीय, जिनमें बड़ी संख्या में छात्र शामिल हैं, की सुरक्षा सुनिश्चित करना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।
- पहला जत्था आर्मीनिया पहुंचा: भारतीय दूतावास के अधिकारियों ने जमीन पर समन्वय स्थापित करते हुए 110 भारतीयों के पहले समूह को ईरान से सड़क मार्ग के जरिए आर्मीनिया पहुंचाया। यह एक महत्वपूर्ण कदम है क्योंकि ईरान के हवाई क्षेत्र का उपयोग करना फिलहाल बेहद जोखिम भरा है।
- छात्रों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया: दूतावास ने जानकारी दी है कि ईरान की विभिन्न यूनिवर्सिटियों में पढ़ रहे भारतीय छात्रों को युद्ध क्षेत्रों से दूर सुरक्षित स्थानों पर बने शिविरों में स्थानांतरित किया जा रहा है।
- हेल्पलाइन नंबर सक्रिय: विदेश मंत्रालय ने ईरान और इजरायल दोनों देशों में फंसे भारतीयों के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं, ताकि हर जरूरतमंद तक मदद पहुंचाई जा सके।
क्यों जरूरी हुई यह निकासी?
ईरान और इजरायल के बीच संघर्ष लगातार बढ़ता जा रहा है। दोनों देश एक-दूसरे के शहरों पर मिसाइलें दाग रहे हैं, जिससे भारी जान-माल का नुकसान हुआ है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस संघर्ष में अब तक 240 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। इजरायल के तेल अवीव जैसे प्रमुख शहर ईरानी मिसाइलों के निशाने पर हैं, जबकि इजरायली हमलों से ईरान में भी भारी तबाही हुई है। ऐसे खतरनाक माहौल में भारतीय नागरिकों की सुरक्षा एक बड़ी चुनौती बन गई थी।
भारत सरकार ने स्पष्ट किया है कि “मिशन रेस्क्यू” तब तक जारी रहेगा जब तक कि हर भारतीय नागरिक को संघर्ष क्षेत्र से सुरक्षित बाहर नहीं निकाल लिया जाता। सरकार स्थिति पर करीब से नजर बनाए हुए है और बाकी नागरिकों को निकालने के लिए अगले जत्थों की तैयारी कर रही है।

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