
नैनीताल: उत्तराखंड में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों को बड़ा झटका लगा है। उत्तराखंड हाई कोर्ट ने पंचायत चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगा दी है, जिससे राज्य में राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों में हलचल मच गई है। हाई कोर्ट के इस निर्णय से चुनाव की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों को गहरा धक्का लगा है।
क्या है मामला?हाई कोर्ट ने कुछ याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह अंतरिम आदेश जारी किया है। इन याचिकाओं में पंचायत चुनाव से संबंधित कुछ नियमों और प्रक्रियाओं को चुनौती दी गई थी। याचिकाकर्ताओं ने चुनाव में आरक्षण नीति, मतदाता सूची में गड़बड़ी, या अन्य प्रक्रियाओं में पारदर्शिता की कमी जैसे मुद्दों पर सवाल उठाए थे। हालांकि, कोर्ट का विस्तृत आदेश और रोक के पीछे के सटीक कारण अभी सामने आने बाकी हैं।
हाई कोर्ट ने कुछ याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह अंतरिम आदेश जारी किया है। इन याचिकाओं में पंचायत चुनाव से संबंधित कुछ नियमों और प्रक्रियाओं को चुनौती दी गई थी। याचिकाकर्ताओं ने चुनाव में आरक्षण नीति, मतदाता सूची में गड़बड़ी, या अन्य प्रक्रियाओं में पारदर्शिता की कमी जैसे मुद्दों पर सवाल उठाए थे। हालांकि, कोर्ट का विस्तृत आदेश और रोक के पीछे के सटीक कारण अभी सामने आने बाकी हैं।https://kainchinews.in/israel-iran-conflict-240-%e0%a4%b8%e0%a5%87-%e0%a4%9c%e0%a5%8d%e0%a4%af%e0%a4%be%e0%a4%a6%e0%a4%be-%e0%a4%ae%e0%a5%8c%e0%a4%a4%e0%a5%87%e0%a4%82-%e0%a4%ad%e0%a4%be%e0%a4%b0%e0%a4%a4%e0%a5%80/
चुनाव आयोग की मुश्किलें बढ़ीं
हाई कोर्ट के इस फैसले से राज्य निर्वाचन आयोग की मुश्किलें बढ़ गई हैं। आयोग ने चुनाव की तैयारियां लगभग पूरी कर ली थीं और जल्द ही चुनाव कार्यक्रम जारी होने की उम्मीद थी। अब आयोग को कोर्ट के अगले आदेश का इंतजार करना होगा और तदनुसार अपनी रणनीति में बदलाव करना होगा।
राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया
हाई कोर्ट के इस फैसले पर विभिन्न राजनीतिक दलों की मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। कुछ दलों ने जहां इसे न्यायपालिका का उचित कदम बताया है, वहीं कुछ अन्य ने इस पर चिंता व्यक्त की है और चुनाव प्रक्रिया को जल्द से जल्द पूरा करने की वकालत की है।
आगे क्या?
मामले की अगली सुनवाई की तारीख जल्द ही निर्धारित की जाएगी। उम्मीद है कि हाई कोर्ट इस मामले पर गहन सुनवाई के बाद कोई अंतिम निर्णय देगा। तब तक उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव अधर में लटके रहेंगे। इस रोक से ग्रामीण विकास कार्यों और स्थानीय स्तर पर जनता के प्रतिनिधित्व पर भी असर पड़ने की संभावना है।
राज्यभर के ग्रामीण इलाकों में इस खबर को लेकर उत्सुकता बनी हुई है कि आखिर कब तक यह रोक हटेगी और पंचायतें अपना नया नेतृत्व चुन पाएंगी।