
देहरादून, उत्तराखंड: उत्तराखंड में लोकतांत्रिक प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण चरण आरंभ हो चुका है। राज्य निर्वाचन आयोग ने बहुप्रतीक्षित त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तारीखों का आधिकारिक ऐलान कर दिया है, और इसके साथ ही पूरे राज्य में तत्काल प्रभाव से आचार संहिता लागू हो गई है। नतीजतन, ग्राम स्तर से लेकर जिला स्तर तक राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं, और उम्मीदवारों ने अपनी चुनावी तैयारियों को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है।
एक तरफ चुनाव की घोषणा, दूसरी ओर जन विरोध की लहर:
किन्तु, जहां एक ओर चुनावी बिगुल बज चुका है, वहीं दूसरी ओर राज्य के कुछ हिस्सों में प्रशासन की कार्रवाई के खिलाफ तीखा जन आक्रोश भी पनप रहा है। विशेष रूप से, हल्द्वानी के सुभाष नगर और बमौरी जैसे क्षेत्रों में स्थानीय प्रशासन द्वारा अतिक्रमण हटाने के नाम पर की जा रही तोड़फोड़ की कार्रवाई ने लोगों को सड़कों पर उतरने को मजबूर कर दिया है।
विधायक सुमित हृदयेश का कड़ा रुख:

इसी कड़ी में, गुरुवार को सुभाष नगर के दुर्गा मंदिर प्रांगण में एक विशाल महापंचायत का आयोजन किया गया। इस महापंचायत में क्षेत्रीय विधायक सुमित हृदयेश ने भी शिरकत की। दरअसल, उन्होंने प्रभावित परिवारों से मुलाकात कर न केवल उनकी पीड़ा सुनी, बल्कि प्रशासन की इस कार्रवाई को “अमानवीय” और “तानाशाहीपूर्ण” करार दिया। विधायक ने स्पष्ट शब्दों में कहा, “वर्षों से यहाँ बसे परिवारों को अचानक उजाड़ना न केवल अन्याय है, बल्कि यह उनके मानवीय अधिकारों का भी खुला उल्लंघन है। यह केवल मकानों को बचाने की लड़ाई नहीं, बल्कि इंसाफ और सम्मान की लड़ाई है।”https://kainchinews.in/%e0%a4%89%e0%a4%a4%e0%a5%8d%e0%a4%a4%e0%a4%b0%e0%a4%be%e0%a4%96%e0%a4%82%e0%a4%a1-%e0%a4%85%e0%a4%a4%e0%a4%bf%e0%a4%95%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%ae%e0%a4%a3-%e0%a4%b9%e0%a4%9f%e0%a4%be%e0%a4%93/
विधानसभा और न्यायालय जाने की चेतावनी:
इतना ही नहीं, सुमित हृदयेश ने प्रशासन को सख्त चेतावनी देते हुए कहा कि यह कार्रवाई किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है और इसका हर मंच पर पुरजोर विरोध किया जाएगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि आवश्यकता पड़ी तो इस गंभीर मुद्दे को विधानसभा में उठाया जाएगा, और यदि तब भी बात नहीं बनी, तो इसे न्यायालय तक ले जाया जाएगा ताकि प्रभावितों को न्याय मिल सके।
महापंचायत में उमड़ी भारी भीड़ ने प्रशासन के इस कदम के खिलाफ अपनी एकजुटता का प्रदर्शन किया। तदनुसार, कई प्रभावितों ने अपनी आपबीती साझा की और विधायक से न्याय की गुहार लगाई।
बमौरी में भी अतिक्रमण का दर्द:
महापंचायत के बाद, विधायक सुमित हृदयेश ने बमौरी क्षेत्र का भी दौरा किया, जहाँ नाले के नाम पर लोगों के घरों को गिराया जा रहा है। वहां भी, उन्होंने पीड़ित परिवारों से संवाद किया और उन्हें हरसंभव सहयोग का भरोसा दिलाया। उन्होंने दोहराया, “बमौरी के निवासियों के साथ भी किसी प्रकार का अन्याय नहीं होने दिया जाएगा। उनकी लड़ाई भी पूरी ताकत के साथ लड़ी जाएगी।”
संक्षेप में, उत्तराखंड में पंचायत चुनाव की तैयारियां चल रही हैं, परन्तु अतिक्रमण विरोधी अभियान ने एक नया सामाजिक-राजनीतिक मुद्दा खड़ा कर दिया है। अब देखना यह होगा कि सरकार और प्रशासन इस जन आक्रोश को कैसे संभालते हैं, जबकि चुनावी रणभेरी बज चुकी है।